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چنیــن گفت شوریده ای در عجم | بــه کسـری که ای وارث ملک جم |
اگـر ملک بــرجم بمــاندی و بخت | تــرا کی میسّر شـدی تاج و تخت |
اگــر گنــج قـارون به دست آوری | نمــاند مگــر آنچـه بخشی، بــری |
چــو الب ارسـلان جان به جانبخش | پســر تــاج شـاهی به سر برنهاد |
بــه تــربــت سپــردنش از تاجگاه | نــه جــای نشستــن بـُد آماجگاه |
چنیــن گفت دیــوانه ای هوشیار | چــو دیــدش پسـر روز دیگر سوار |
زهی مُلــک و دوران ســر در نِشیـب | پــدر رفــت و پــای پسـر در رکیب |
چنینــــست گـــردیـــدن روزگــار | سبــک سیــر و بـد عهد و ناپایدار |
چــو دیرینــه روزی ســـرآورد عهـد | جــوان دولتی ســربـــر آرد ز مهد |
مَنِــه بـر جهان دل که بیگانه ایست | چو مطرب که هر روز در خانه ایست |
نــه لایـــق بـــود عیش بــا دلبـــری | کــه هــر بــامدادش بود شوهری |
نکـویی کن امسال چون دِه تراست | کــه ســال دگر، دیگری دهخداست |